Yug Purush

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समुन्दर का शिकारी : सम्राट मार्टिन की सल्तनत(भाग - 6)

" तुमने आसमान में सैर करने वाले जानवरों के बारे में कुछ सोचा है... कि यदि उन्होंने हमला कर दिया तो क्या करोगी.."

" आसमान में सैर  करने वाले जानवर ? मतलब...?"

" मतलब................. ड्रैगनस ... "

" अच्छा... ड्रैगनस के बारे मे सोचना है...1 मिनट मुझे सोचने दो.. अच्छा,अभी याद आया, मैंने उसके बारे में तो कुछ भी नहीं सोचा.. जानते हो क्यों ...? "अपनी जगह से खड़े होकर रिया, रॉन के पास गई और एकदम से चिल्लाकर रॉन का कान फाड़ते हुए बोली "क्योंकि मैं फालतू की चीजों पर यकीन नहीं करती. यह काम तुम्हारा है, फालतू की बात करना और फालतू चीजों पर यकीन करना... अब जाओ यहाँ से या फिर धक्के देकर निकलवाऊ...?"

"सुनाई नहीं दिया... थोड़ा और तेज बोलोगी.."अपने कान मे उंगली डालकर कोचकते हुए रॉन ने कहा "अलविदा.. मेरी बोतल मेरे बिना बेचैन हो रही होगी. बाद में मिलते हैं."

रॉन , रिया के कमरे से बाहर आया और बाहर आते ही.. हाथ में बोतल लिए पूरे जहाज में घूमने लगा...  जहाज में बहुत देर तक इधर उधर घूमने के बाद उसे  एक कोने में कुछ लोग खड़े हुए दिखाई दिए, जहा उनसे कुछ दुरी मे रिया भी खड़ी  होकर... नायर के अचानक गुम हो जाने से परेशान थी.... रॉन कोने में खड़े उन  लोगों को देख उन्हीं की तरफ बढा. उसने सोचा था की रिया उसे अपने कमरे से निकालने के बाद आराम कर रही होगी... पर वो तो नायर के गुम हो जाने के पीछे पड़ी हुई है, कही इसे सच्चाई का पता चल गया तो...........?? सीधे जहाज से नीचे फेकवा देगी य फिर जिन्दा जहाज से कटवा देगी..


"अबे,  तुम लोगों को कोई काम धंधा नहीं है क्या... दिख नहीं रहा, हम लोग गलत दिशा में जा रहे हैं... इस कश्ती को दाएं तरफ मोड़ो... खच्चरो "

रिया, वैसे तो रॉन की कोई बात इतनी जल्दी नहीं मानती.. पर नायर की अनुपस्थिति में और रॉन  के समुद्री चतुराई के चलते उसने वहां खड़े उन लोगों में से एक को ठीक वैसा ही करने का इशारा किया, जैसे रॉन ने कहा था...

"तु बकलोल सफेद लिबास पहने हुए क्यों खड़ा है.. खुद को मेरे रहते हुए कप्तान समझ रहा है क्या.. सुना नही  इस जहाज के कप्तान ने क्या बोला.. अभी.."जब रिया के पास मौजूद एक जहाजी अपनी जगह से नहीं हिला तो रॉन उसपर चिल्लाया

" तुम्हें कैप्टन किसने बना दिया, रॉन..?" आश्चर्य से रिया  पूछी

" मैंने खुद ने... वो क्या है की एक जहाज बिना कप्तान के नहीं रह सकता और कोई काबिल भी नहीं है यहाँ मेरे सिवा.. तो मैने खुद को अभी -अभी इस जहाज का कप्तान नियुक्त कर दिया... Captain The Ron...  सुनने मे कितना अच्छा लगता है. चलो सब कोई सैल्यूट मारो, अपने नये डैशिंग और डेरिंग कप्तान को..."

" लेकिन जहां तक मुझे याद है, कैप्टन रॉन... मैंने जस्ट अभी अभी, सेठ को इस जहाज का नया कैप्टन चुना है. वह भी सबकी सहमति से. और जहां तक मुझे याद है तुम्हारा नाम सेठ नहीं बल्कि रॉन है.. सॉरी... दि रॉन... समुन्दर का शिकारी"

"तुम मेरी तारीफ कर रही हो या बेज्जती..."

"दोनों..."

" पर मैं तो तारीफ ही समझूंगा.... जानेमन "

" कभी अपने हाथ इस बोतल से अलग करके समझने की कोशिश करो तो सब समझ आ जाएगा..."

" वह लड़की कहां गई जो कल रात में मिली थी... सुबह से लापता है. रिया तुमने देखा क्या.. उस अंग्रेजन को? कहीं नायर उसे ही लेकर तो नहीं भाग गया... साला, लड़की चोर. वैसे बड़ा मजा आया था उसके साथ कल पूरी रात... मै उसको ढूंढ के आता हूँ... तुम लोग जहाज की स्पीड कम मत होने देना, चाहे जो कुछ भी हो जाए... वरना वो समुद्री दानव एक पल मे मसल कर रख देगा ". बोलते हुए रॉन  वहां से चला गया...

रॉन के जाने के बाद, वह शख्स वहा आया जिसे रिया ने जहाज को दाईं ओर मोड़ने के लिए चैंबर रूम में भेजा था...


" मैम, रॉन  सही बोल रहा था... चेंबर में लगे नक्शे के अनुसार जहाज को दाएं तरफ ही मोड़ना था. नए कप्तान ने इस पर गौर ही नहीं किया.... अब हमारी दिशा एकदम सही है.. पर ताज्जुब की बात ये है की रॉन को बिना नक़्शे के ये कैसे पता चला  की.. जहाज को किस ओर मोड़ना है...? कही उसकी कही हुई सारी बाते सच तो नहीं.. जो वो कल शराब के नशे मे बड़बड़ा रहा था... किसी सम्राट मार्टिन के बरसो पूर्व समुन्दर के सीने मे दफ़न मुर्दो के जहाज के बारे मे...? "


"इस समुन्दर के साथ -साथ रॉन ने भी शायद कई राज अपने भीतर छीपा रखे है.. पर ज्यादा दिन तक नहीं... बस मेरा एक बार काम निकल जाये.. फिर गिन -गिन कर रॉन से अपना बदला लुंगी...'


रात हो चुकी थी. लेकिन जहाज अपनी तीव्र गति से ही आगे बढ़ रहा था... जैसा की उनको रॉन ने करने के लिए कहा था. रिया के मन में अब भी रॉन  की सुबह वाली बात खटक रही थी कि बिना नक्शा देखें.. रॉन  को कैसे पता चल गया कि जहाज को दाईं तरफ मोड़ना है और उसी पल रिया के मन में इस रहस्य से पर्दा उठाने का खयाल आया, उसने रॉन की जासूसी करने का सोचा .

रिया अपने रूम से बाहर निकली और रॉन के रूम की तरफ दबे पांव चल पड़ी. रॉन  के रूम के बाहर पहुंच कर रिया आसपास देखने लगी कि कोई वहां आस -पास है तो नहीं. जब कोई इंसान गलत काम करने लगता है तो अकसर यही होता है, वो अपने अधिकार पर भी संदेह करने लगता है.. यही रिया के साथ भी हो रहा था. वो इस वक़्त मानो भूल गई थी की वो इस पुरे जहाज की मालकिन है और यदि उसे कोई यहाँ देख भी ले तो किसी मे इतनी हिम्मत नहीं की उससे कोई सवाल कर सके...लेकिन फिर भी रिया को इस बात का ना जाने क्यों डर सता रहा था की कही उसे कोई देख ना ले....


रॉन के कमरे के बाहर खड़े होकर उसने दरवाजे को अंदर धकेलने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा अंदर से बंद था.. इसका मतलब रॉन अभी  अंदर है. इस जहाज में बने सभी कमरों में सिर्फ एक कमरे के दरवाजे में छोटा सा छेद था, जो रिया ने जहाज के कोलकाता से चलने से पहले ही करवाया था और वह कमरा उसने जानबूचकर रॉन को दिया था. खास इसी मौके के लिए..

क्यूंकि बेलाडोना मे मौजूद सिर्फ एक शख्स पर उसे रत्ती भर भी भरोषा नहीं था और वो शख्स रॉन था. रॉन उसके लिए हमेशा से ही एक रहस्य था , रिया का ऐसा सोचना था कि रॉन  भले ही बाहर से सब को कितना भी बेवकूफ लगे... भले ही वो खुद को कितना भी बड़ा शराबी दिखाएं.. लेकिन अंदर से वह बहुत चालाक और धूर्त है और अपने अंदर अपनी असली पहचान को दबा रहा है और हो ना हो जरूर अपने किसी खास मकसद से उसके साथ आने के लिए तैयार हुआ है... वरना रॉन ऐसा आदमी है, जो मरने वाले को एक बूँद पानी तक ना दे और यदि अपने पे आए तो अपने बाप तक को धोखा देने से पीछे ना हटे....

रिया ने उस छेद पर अपनी आंख लगाकर कमरे के अंदर देखा, कमरे की लाइट जल रही थी, जिससे अंदर एकदम साफ -साफ देखा जा सकता था की अंदर चल क्या रहा है. दरवाजे के ठीक सामने रॉन का बिस्तर था, जहां इस वक्त वो एक गोरी लड़की के साथ  क्रीडा में लीन था.. रॉन  बिस्तर पर आगे पीछे हरकत करते हुए हुए व्यस्त था.. रिया झुककर छेद से अंदर देखती रही.. रिया बहुत देर तक झुके -झुके थक गई, लेकिन रॉन था की इतनी देर से रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था और फिर बिस्तर पर नीचे पड़ी हुई उस अंग्रेज लड़की के कुछ बोलने पर रॉन एक पल के लिए रुका और फिर से अपना शरीर आगे पीछे करने लगा... रॉन की रास -लीला देख रिया की भी सांसे बढ़ने लगी और उसके हाथ अपने आप उसके शरीर पर चलने लगे...

रिया की जिंदगी बहुत वीरान थी, माँ तो बचपन मे ही चल बसी थी और पिता, 3 साल पहले दिल के दौरे के कारण इस संसार को अलविदा कह चुके थे... कॉलेज मे रिया एक लड़के के करीब तो आयी...पर वो सिर्फ तभी तक चला, जब तक कॉलेज चला.. उसके बाद रिया के ना तो कोई कुछ खास दोस्त रहे और ना ही कोई प्रेमी... सिर्फ उसकी एक सेक्रेटरी थी, जिससे वो कभी कभार हस कर दो चार बात कर लिया करती थी..

लेकिन समुन्दर के इस भयंकर सफर मे अब उसकी सेक्रेटरी भी उसके साथ नहीं थी.. रिया ने जान -बुचकर अपनी सेक्रेटरी को अपने साथ नहीं आने दिया, ताकि कोलकाता मे उसके पीठ पीछे Apex Predator कंपनी मे कही तख्ता पलट ना हो जाए.


" क्या माल है तू..एकदम  गोरी गोरी... ऊपर से तेरे यह गोरे गोरे रसीले संतरे " इसी बीच रॉन के मुँह से जब यह निकला तो रिया की नजर अपने आप ही उसके खुद के सीने की तरफ चली गई...

गुलाबी कलर के अंतरंग वस्त्रों में बिस्तर पर लेटी हुई अंग्रेजन कयामत ढा रही थी... बाहर छेद से अंदर देखती हुई रिया को एक पल के लिए ऐसे लगा जैसे कि वह खुद उस बिस्तर  पर लेटी हुई है और रॉन उसके ऊपर... अगले पल उसने तुरंत ही ये खयाल अपने दिनाग से निकाल फेका...


" जल्दी से अपने कपड़े उतारो और...  " गोरी मैम बोली...

" कपड़े का क्या लेना देना.. इन सब से... वापस कौन पहनाएगा मुझे फिर......"


जिस्मानी खेल अंदर हो रहा था और रिया एक मूक दर्शक की भांति दरवाजे के छेद से उस खेल का पूरा आनंद ले रही थी.... जब अंदर का खेल समाप्त हुआ तो रॉन  ने उस गोरी को वहां से जाने के लिए कहा और यह सुनते ही रिया भी तुरंत खड़ी होकर वहां से अपने रूम के लिए चल दी.... रिया  अपने रूम में वापस तो आ गई, लेकिन नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी... इसलिए वह अपने बिस्तर से उठी और वापस रॉन  के रूम की तरफ चल दी ... इस बार रॉन  के रूम का दरवाजा खुला हुआ था. शायद वो अंग्रेजन जो कुछ देर पहले रॉन के बिस्तर पर लेटी हुई थी, वो चली गई थी और रॉन ने दरवाजा बंद नहीं किया. रिया ने हलके से खुले हुए दरवाजे के अंदर झाँककर देखा, रॉन अंदर बिस्तर पर लेता, अपना सिर ऊपर किये किए किसी सोच मे डूबा हुआ था.

" क्या सोच रहे है आप, रॉन? सॉरी... दी  रॉन...  " कमरे के अंदर आते हुए रिया मुस्कुरा कर बोली

" रिया तुम.. तुम....  यहां क्या कर रही हो.. वो भी इस वक़्त..? कही तुम वो सब करने तो नहीं आयी... मै तैयार हूँ... चलो हो जाए.. बहुत मजा आएगा..."

" बस नींद नहीं आ रही थी तो सोचा क्यों ना तुम्हारी बकवास बातें सुन लिया जाए..."

" अच्छा ख्याल है,  मुझे भी जब नींद नहीं आती तो मैं भी खुद की बातें खुद से कर के सो जाता हूं... वैसे मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूं..."

" बिल्कुल... बिल्कुल... क्यों नहीं"

" तुमने इस जहाज का नाम बेलाडोना (Belladonna ) क्यों रखा है..."

" क्यों तुम्हें नाम पसंद नहीं आया...?"

" ऐसा ही समझ लो..."

"ठीक है, तो फिर यदि तुम्हे मौका दिया जाता तो तुम इस जहाज का क्या नाम रखते...?"

"मै इसका नाम रखता कुछ खुंखार टाइप..."

"जैसे..."

"जैसे... मुर्दो का जहाज  या फिर The  Spiritual Ship~ दी  स्पिरिचुअल शिप, ये नाम सही रहता... "

" बेलाडोना का मतलब समझते हो..?"

" नहीं.. शायद तुम्हारी किसी महिला मित्र का नाम होगा, जिसके साथ तुम्हारे समलैंगिक संबंध होंगे.. कही तुम्हारी सेक्रेटरी का नाम तो बेलाडोना नहीं... "

" मतलब कुछ भी...? बेलाडोना का मतलब है एक मरी हुई खूबसूरत लड़की... जो अंधेरे समंदर में अपनी रूहानी ताकत से तैरते हुए बड़े से बड़े जहाज को डूबा दे...  और उस भयंकर तरीके से डूबाये की एक भी इंसान  जिंदा ना बचे.. ये मतलब है  बेलाडोना का..."

" कहीं वह मरी हुई खूबसूरत लड़की तुम तो नहीं..."

"वो छोडो और यह बताओ कि तुमने जहाज को किस दिशा में मोड़ना है, बिना किसी नक़्शे के कैसे बता दिया आज...?"

" बताया तो था कि मैं  पहले भी उस डेविल्स ट्रायंगल में जा चुका हूं...."

" कभी तो सच बता दिया करो.."

" जानेमन, मैं हमेशा सच ही बोलता हूं.. अब लोग ही इतने झूठे है की उन्हें सच सुनने की आदत नहीं है तो इसमें मै क्या कर सकता हूँ.. "

जिस पर रिया हंसने लगी..
.
.

" ना बे.. हम पिछले 2 दिनों से चले जा रहे हैं, चले जा रहे हैं.. लेकिन जमीन का कोई नामोनिशान तक नहीं.... तुम्हें रास्ता मालूम भी है या यूं ही मुझे घुमा रहा है... " आदित्य ने कश्ती में बैठे हुए, राज  से पूछा.

पिछले दो दिनों से वो उस छोटे से नाव मे उस आइलैंड से चले थे, जहा आदित्य ड्रैगन्स के हमले के बाद बहते हुए पंहुचा था... लेकिन अब भूख के मारे उसकी जान जा रही थी. और उसे लगने लगा था की... ऐसे भूखे मरने से अच्छा वो ड्रैगन्स के मुँह का निवाला बन जाता तो ज्यादा बेहतर रहता.. कम से कम कुछ देर ही उसे तड़पना पड़ता.. लेकिन यहाँ.. राज के साथ.... वो पिछले दो दिनों से भूखा था और ना जाने आगे उसे कब तक ऐसे ही भूखे प्यासे रहना था...


" ये  बेहूदा सवाल करने की बजाय यदि पतवार चलाने में ध्यान दिया होता, तो अब तक हम पहुंच गए होते"

" पतवार.... पतवार...  पतवार... बोर हो चुका हूं मैं इस मूत भरे पानी मे पतवार चला चला कर... साला जिधर देखो पानी..  पानी... पानी.... वह भी खारा.. "

" फिर तो तुम्हें मार्टिन के मुर्दे आईलैंड में भेज देना चाहिए, वहां जमीन में दफन मुर्दे तेरा अच्छा टाइम पास करेंगे..."

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1. 8TH SEMESTER !

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8 Comments

Farhat

27-Nov-2021 12:44 AM

Good

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Khushi jha

27-Oct-2021 06:35 AM

बहुत सही

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Shalini Sharma

12-Oct-2021 11:17 PM

Nice

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